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केरल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला! पेट्रोल पंप के टॉयलेट पब्लिक प्रॉपर्टी नहीं, क्या है पूरा मामला

केरल हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि पेट्रोल पंप के टॉयलेट पब्लिक प्रॉपर्टी नहीं माने जाएंगे। आखिर क्यों आया यह फैसला? क्या अब आम लोग पेट्रोल पंप पर टॉयलेट का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे? जानें इस केस की पूरी कहानी और आपके अधिकारों पर इसका असर! पूरी जानकारी के लिए आगे पढ़ें।

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केरल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला! पेट्रोल पंप के टॉयलेट पब्लिक प्रॉपर्टी नहीं, क्या है पूरा मामला
केरल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला! पेट्रोल पंप के टॉयलेट पब्लिक प्रॉपर्टी नहीं, क्या है पूरा मामला

केरल हाई कोर्ट ने पेट्रोल पंप पर बने शौचालयों को लेकर एक बहुत बड़ा फैसला सुनाया है। जिससे कोर्ट ने कहा है कि पेट्रोल पंप पर बनाए गए वशरूम किसी भी पब्लिक प्लेस के वजाय पेट्रोल भरवाने वाले ग्रहाकों के लिए ही हैं। इसलिए आधिक जानकारी के लिए बता कि पेट्रोल पंप मालिक द्वारा साइन की गई रजिस्ट्री के मौतबिक ही हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। साथ ही सभी को सूचना देते हुए यह घोषणा की है, कि उन्हे पेट्रोल पंप पर बने टॉयलेट को पब्लिक्ली यूज किए जाने पर दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

पेट्रोल पंप की विनती पर कोर्ट का लास्ट फैसला

पेट्रोल पंप मालिकों ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उनके पंप पर बने टॉयलेट को सार्वजनिक सुविधा के रूप में वर्गीकृत न किया जाए। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि यह उनके निजी परिसर की संपत्ति है और इसका सार्वजनिक इस्तेमाल उनके मौलिक संपत्ति अधिकारों का उल्लंघन है। हाई कोर्ट ने इन दलीलों को सुनने के बाद अपने अंतरिम आदेश में सरकार को निर्देश दिया कि पेट्रोल पंप पर मौजूद शौचालयों को आम जनता के लिए अनिवार्य रूप से खोला जाना जरूरी नहीं है।

पुराने आदेश पर क्यों लगाई गई रोक

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और नगरपालिकाओं द्वारा जारी उस आदेश पर भी रोक लगा दी है, जिसमें पेट्रोल पंपों पर शौचालयों को पब्लिक यूज के लिए खोले जाने के पोस्टर चिपकाने के निर्देश दिए गए थे। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब यह पूरी तरह साफ हो गया है कि पेट्रोल पंप पर बना टॉयलेट अब सिर्फ उन ग्राहकों के लिए ही होगा जो वहां ईंधन या अन्य सेवाओं के लिए आते हैं।

पेट्रोल पंप मालिकों की बात और वजह

पेट्रोल पंप मालिकों ने अपनी याचिका में स्पष्ट किया कि उनके पंप पर मौजूद टॉयलेट केवल ग्राहकों की इमरजेंसी जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। उनका कहना था कि इन्हें पब्लिक टॉयलेट बनाने से पेट्रोल पंप का कामकाज प्रभावित होता है। पंप मालिकों ने बताया कि पब्लिक यूज की वजह से पंप पर झगड़े होते थे और कर्मचारियों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।

उन्होंने आगे कहा कि पेट्रोल पंप पर कामकाज का अपना एक व्यवस्थित ढांचा होता है और शौचालयों को सार्वजनिक करने से वहां का संचालन बाधित होता है। इसके अलावा उन्होंने कोर्ट में यह भी दलील दी कि इस तरह की व्यवस्था उनके संवैधानिक संपत्ति अधिकार का हनन है, क्योंकि राज्य या स्थानीय निकाय उनकी निजी संपत्ति को सार्वजनिक सुविधा के रूप में इस्तेमाल करने का आदेश नहीं दे सकते।

हाई कोर्ट का आदेश और सरकार को निर्देश

हाई कोर्ट ने तिरुवनंतपुरम नगर निगम को स्वच्छ भारत मिशन के तहत दिशा-निर्देश पेश करने को कहा था। इसके बाद कोर्ट ने यह अंतरिम आदेश दिया कि पेट्रोल पंप पर बने टॉयलेट को आम जनता के इस्तेमाल के लिए जरूरी नहीं बनाया जाएगा। कोर्ट ने साफ किया कि पेट्रोल पंप पर मौजूद शौचालय केवल उन ग्राहकों के लिए हैं जो पेट्रोल-डीजल लेने या अन्य सेवाओं का लाभ उठाने के लिए वहां आते हैं।

कोर्ट के फैसले ने पेट्रोल पंप मालिकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नगरपालिकाओं या अन्य किसी भी सरकारी निकाय को यह अधिकार नहीं कि वे निजी पेट्रोल पंपों पर बने शौचालयों को पब्लिक टॉयलेट घोषित करें या उसका उपयोग सार्वजनिक तौर पर करने के लिए मजबूर करें।

इस फैसले का असर

इस फैसले का असर पूरे राज्य में दिखेगा जहां हजारों पेट्रोल पंपों पर बने टॉयलेट अब आम जनता की पहुंच से बाहर होंगे। इस फैसले से उन पंप मालिकों को राहत मिली है जो लंबे समय से पब्लिक यूज के कारण उत्पन्न होने वाली अव्यवस्था और विवादों से परेशान थे। इस आदेश के बाद स्थानीय निकायों द्वारा लगाए गए सार्वजनिक उपयोग के पोस्टर भी हटा दिए जाएंगे।

Author
News Desk

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