
मई 2025 में, भारत में COVID-19 के मामलों में हल्की वृद्धि देखी गई है। JN.1 वेरिएंट और इसके उप-वेरिएंट्स LF.7 और NB.1.8.1 के कारण देश में 257 सक्रिय मामले सामने आए हैं, जिनमें अधिकांश लक्षण हल्के हैं और अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता नहीं पड़ी है।
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विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान में भारत में कोरोना की स्थिति नियंत्रण में है और घबराने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, सतर्कता बरतना आवश्यक है, विशेषकर बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों के लिए।
क्या बूस्टर डोज़ की आवश्यकता है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान में भारत में सभी के लिए बूस्टर डोज़ की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, उच्च जोखिम वाले समूहों, जैसे बुजुर्गों, कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों और स्वास्थ्यकर्मियों को बूस्टर डोज़ लेने की सलाह दी जाती है।
एम्स के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल के अनुसार, वर्तमान में सक्रिय वेरिएंट JN.1 नया नहीं है और इसके लक्षण सामान्य फ्लू जैसे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या में वृद्धि नहीं होती, तब तक चिंता की कोई बात नहीं है।
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बूस्टर डोज़ की प्रभावशीलता
हालांकि JN.1 वेरिएंट के लिए विशेष वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, लेकिन मौजूदा mRNA वैक्सीन्स, जैसे XBB.1.5 बूस्टर, गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने से बचाने में प्रभावी हैं।
डॉ. मयंक सक्सेन के अनुसार, JN.1 की इम्यून इवेजन क्षमता के कारण यह वैक्सीनेटेड लोगों को भी हल्के रूप से संक्रमित कर सकता है। इसलिए, उच्च जोखिम वाले समूहों को बूस्टर डोज़ लेने की सलाह दी जाती है।
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सावधानियां और सुझाव
- मास्क पहनें: भीड़भाड़ वाली जगहों पर मास्क जरूर लगाएं।
- हाथ धोएं: नियमित रूप से हाथ धोएं या सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
- लक्षणों पर नजर रखें: अगर बुखार, खांसी या गले में खराश जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत टेस्ट कराएं और आइसोलेट हों।
- बूस्टर डोज़ लें: उच्च जोखिम वाले समूहों को बूस्टर डोज़ लेने की सलाह दी जाती है, विशेषकर यदि पिछली डोज़ को 6 महीने से अधिक समय हो गया हो ।